मेरी सिसकियां सुनकर भी रोने की वजह नहीं पूछता वो शख्स,
जो कभी एक आशु गिरने पर आसमान सिर पे उठा लेता था - Kavita
दर्द का पूरा शहर मेरे नाम कर दिया उस शख्स ने,
जिसने कभी कहा था हम ह तो क्या ग़म ह - Kavita
मालूम ह जुदा होकर दोनों को पछताना ह,
गुमनाम सी जिएंगे जिंदगी ना करेंगे फिर किसी की बंदगी,
कोई पूछेगा तो कहेंगे हमारे लिए बीत चुका मोहबत का जमाना ह - Kavita
मने कब कहा ए खुदा, कि वो वार दे अपना सबकुछ मुझ पर,
पर उसे कभी क्यों नही दिखा, मने किस कदर चाहा उसे टूटकर